Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 106( An Unconscious Break-3)

गौतम के टूर्नामेंट मे जाने के बाद एक बहुत बड़ा कांड हुआ...ऐसा कांड जिसने मुझे एक पल के लिए दो तरफ़ा बाँट दिया था,मतलब कि मेरे शरीर के दो हिस्से...मैं कुछ  पॅलो के लिए कन्फ्यूज़ हो गया था कि किसका साथ दूं और किसका साथ छोड़ू......

गौतम अब भी टूर्नमेंट के चलते बाहर था और मैं ,अरुण के साथ कैंटीन  मे बैठा हुआ था....अरुण अपनी वाली को लाइन दे रहा था और मैं अपनी वाली को...फरक सिर्फ़ इतना सा था कि अरुण वाली अरुण को मस्त रेस्पोन्स दे रही थी और मेरी वाली मुझे देख तक नही रही थी..... वो तो स्ट्रा से पेप्सी पीने मे बिजी थी.

"वो देख... उनके पास वाली टेबल खाली हो गयी,चल उधर उनके पास चलते है..."अरुण का हाथ पकड़कर मैने कहा और उसे उठाने लगा...

"अबे मरवाएगा क्या..."अपना हाथ छुड़ा कर अरुण बोला...

"डर मत आ जा.."

"अबे चल जा..."

"आना ना कुत्ते.."

"नही आउन्गा कमीने.."

" मुँह मे दे दूँगा,आजा नही तो..."

"मैं  मार लूँगा तेरी...चुप चाप बैठ जा नही तो..."

"भूल मत कि मैं अरमान हूँ..."

"और तू भी मत भूल की मैं अरुण हूँ"

"तेरी तो....कईकू भाव खा रेला है ,चल ना...तेरा बिल मैं भर दूँगा..."

"क्या सच मे..?? "

"माँ कसम "

"अब रुलाएगा क्या पगले,चल आ जा..."

और फिर हम दोनो उठे और कैंटीन  पर इधर-उधर नज़र मारकर ऐश  के पास वाली टेबल पर बैठ गये....

"वेटर दो प्लेट समोसा, दो पेप्सी और दो पानी पाउच लाना जल्दी से..."ताव देकर अरुण चीखा...

अरुण के चीखने के बाद मैं कुछ  ऐसा सोचने लगा जिससे ऐश  मेरी तरफ देखे और मुझसे लड़ाई करे...

"यार अरुण,तूने मेरी बिल्ली देखी है क्या..."

"अब ये बिल्ली कौन है..."

"अबे वही,जिसका रंग गोरा है...बात-बात पर गुस्सा हो जाती है और पेप्सी भी पीती है "मैने हँसते हुए कहा और आँखे तिरछी करके ऐश  पर नज़र डाली...उसके चेहरे का रंग इस समय गुस्से से लाल हुआ जा रहा था...

"तुमने कहा था कि यदि मैं तुम्हारी फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लूँगी तो तुम मुझे परेशन करना बंद कर दोगे...और मुझे बिल्ली भी नही कहोगे..."गुस्से से ईशा का नाक लाल हो चुका था... वो मुझसे उदास और गुस्से के मिले जुले आवाज़ मे बोली

"मैं आजकल ग़ज़नी बन गया हूँ,सब कुछ  बहुत जल्द भूल जाता हूँ..."वहा से उठकर उसके सामने बैठते हुए मैने कहा.... मुझे तो बस मौका चाहिए था, इसका... की वो बात चालू बस करें...

"तू, ऐश  को बिल्ली बोलता है..हा हा हा "ज़ोर ज़ोर से हँसते हुए अरुण भी वहाँ से उठा और जाकर दिव्या के साइड मे बैठ गया....

अरुण को हँसता देख ,दिव्या भी हंस पड़ी और फाइनली ऐश  की हालत देखकर मैं भी मुस्कुरा उठा...जब तक अरुण हंस रहा था,जब तक दिव्या हंस रही थी...तब तक तो ऐश  शांत थी...लेकिन जैसे ही मैं हंसा तो उसके अंदर मानो ज्वालामुखी फूट गया और वो गुस्से मे बोली...

"मैं बिल्ली तो तुम बिल्ला..."

"बिल्ली -बिल्ला... Wow...चल आजा फिर कोंटे मे "

आगे ऐश  कुछ  कहती या फिर मैं कुछ  कहता ,उसके पहले ही हॉस्टल  के 3rd ईयर  का एक लड़का अपने कुछ  दोस्तो के साथ वहाँ आया और एक झटके मे हमारे सामने टेबल पर रखे पानी के ग्लास को उठाकर दिव्या के मुँह पर पूरा पानी डाल दिया....एक पल के लिए तो मैं जैसे सकते मे आ गया कि ये क्या हुआ.....फट के चौराहा  हो गई मेरी... ये देखकर. जरूर इनसे कोई मिस्टेक हुई है....

"तेरी माँ की...साले .."दिव्या की ये हालत देखकर अरुण उस लड़के की तरफ पलटा,जिसने ये हरकत की थी... अरुण उठा तो गुस्से मे था, पर सामने वाले की शकल देख एकदम एक पल मे ठंडा पड़ गया....

"नौशाद सर,आप...?? ."हॉस्टल  मे रहने वाले सीनियर को देखकर अरुण बोला...

"तू चल अभी जा यहाँ से,मुझे अपना प्राइवेट मैटर सुलझाना है...इससे "अरुण को खड़ा करके नौशाद उसकी जगह बैठ गया और हॉस्टल  के दूसरे सीनियर्स ने मुझे भी वहाँ से जाने के लिए कहा....

"भीगे होंठ तेरे...प्यासा दिल मेरा..."गुनगुनाते हुए नौशाद ने अपना हाथ दिव्या की तरफ बढ़ाया...

"सर...वो मेरी दोस्त है,.."नौशाद का हाथ पकड़ कर अरुण बोला...

इस वक़्त दिव्या और ऐश  का भी चेहरा एकदम से फीका पड़ चुका था, दोनो की आँखो मे डर की लहरे दौड़ रही थी.. ईशा तो अपनी जगह पर बैठे -बैठे काँपने तक लगी थी, नौशाद को देखकर......

"तेरी दोस्त है तो क्या अपुन को थप्पड़ मारेगी...आज तो मैं इसको नही छोड़ूँगा...साले दोनो भाई-बहन अपने बाप के दम पर बहुत उचकते है..."नौशाद ने तुरंत  अपना हाथ छुड़ाकर अरुण को आँखे दिखाई
.
कैंटीन  मे मामला बिगड़ते देख ,वहाँ काम करने वाले बीच-बचाव के लिए आगे आए,लेकिन उन सबको नौशाद के दोस्तो ने वापस भगा दिया और कैंटीन  मे मौजूद सभी स्टूडेंट्स को वहाँ से जाने के लिए कहा.... अब वहा सिर्फ और सिर्फ हॉस्टल वाले सीनियर, और हम चारो थे.

"आज तो रेप होकर रहेगा...वो भी एक का नही दो-दो का..."कहते हुए नौशाद ने दिव्या का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खीच लिया. और उसके शरीर से अपना शरीर रगड़ने लगा

यदि इस वक़्त वहाँ नौशाद की जगह कोई दूसरा लड़का होता तो मैं तुरंत उससे भिड़ जाता,लेकिन यहाँ सिचुयेशन अलग थी...नौशाद हॉस्टल  मे रहता था और साथ मे मेरा सीनियर भी था और बरसो से चले आ रहे रूल के अनुसार मुझे नौशाद का साथ देना चाहिए था... उसका हुकुम मानना चाहिए था... भले ही ग़लती किसकी भी हो....

नौशाद के चंगुल से दिव्या खुद को छुड़ाने की कोशिश करती रही,लेकिन वो कामयाब नही हो पाई...

"इतना फुदक मत,अभी तेरी सारी गर्मी उतारता हूँ... साली रखैल,कही की...कुतिया "

"ये ग़लत है..."हिम्मत करके मैने अपना जोर लगाया और नौशाद को दिव्या से दूर किया...

"तेरी माँ की...तू होता कौन है बे मुझे सही-ग़लत समझाने वाला...शायद तू भूल रहा है कि मैं तेरा सीनियर हूँ...चल जा यहाँ से वरना मैं भूल जाउन्गा कि तू अरमान है और मेरे हॉस्टल  मे रहता है..."कहते हुए नौशाद ने मेरा कॉलर पकड़ लिया...

"नौशाद भाई...आख़िर बात क्या है..."शांत लहजे मे मैने नौशाद से पुछा...

"मैने आज सुबह इसका हाथ क्या पकड़ लिया,साली ने सबके सामने एक जोरदार तमाचा मेरे गाल पर दे मारा.. रंडी बहुत उचक रही थी.."इतना कहकर नौशाद ने मुझे धक्का दिया और  वहाँ से जाने के लिए कहा ....

"चलो बेटा..अरुण-अरमान ,दोनो बाहर जाओ...ये हमारा मैटर है..."हॉस्टल  के दूसरे सीनियर्स जो वहाँ नौशाद के साथ आए थे,उन्होने हमे जबरदस्ती पकड़ कर कैंटीन  से बाहर कर दिया...

जब मुझे और अरुण को हॉस्टल  के सीनियर्स कैंटीन  से धक्का देकर बाहर कर रहे थे,तब एक वक़्त के लिए मेरी नज़रें ऐश  से मिली...वो इस वक़्त अंदर तक डरी हुई थी,लेकिन कुछ  बोलने,कुछ  कह पाने की हिम्मत उसमे नही थी... जब मुझे धक्का देकर कैंटीन  से बाहर निकाला जा रहा था तो ऐश  की आँखे मुझसे मदद की गुहार लगा रही थी... उसकी सफेद सूरत लाल रंग की मूरत मे तब्दील होने लगी थी... मैने कभी कल्पना तक नही की थी कि मैं ऐश  को इस हालत मे देखूँगा... और मैने जब कुछ  नही किया तो उसकी भूरी आँखों से आँसू की कुछ  बूंदे उसके गाल को भिगोति हुई टेबल पर जा गिरी.... लेकिन मैं फिर भी कुछ  नही कर पाया,क्यूंकी इससे हॉस्टल  के लड़के ही मेरे खिलाफ हो जाते और ये नौशाद वही लड़का था जिसने वरुण को मारने मे MTL भाई के साथ मिलकर मेरी मदद की थी... ऐसे मे मै विरोध करू भी तो कैसे... जमीर गवाही नहीं दे रहा था.

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